साईं बाबा से कैसे जुड़ें या व्यक्तिगत संबंध कैसे स्थापित करें?
साईं बाबा करोड़ों लोगों के जीवन में एक आध्यात्मिक शक्ति, मार्गदर्शक, संरक्षक और प्रेम का स्रोत हैं। जब हम “साईं बाबा से जुड़ने या फिर व्यक्तिगत संबंध” की बात करते हैं, तो इसका अर्थ केवल साईं मंदिर जाना या साईं की पूजा करना नहीं है बल्कि इसका असली अर्थ है - साईं से हृदय से जुड़ना, आत्मा का संबंध होना, साईं के साथ अंतर्मन की शांति, और जीवन में हमेशा एक मार्गदर्शक की उपस्थिति महसूस करना। साईं बाबा को लोग अलग-अलग रूपों में देखते हैं, कोई उन्हें माता-पिता के रूप में, तो कोई उन्हें दोस्त के रूप में , तो कोई उन्हें गुरु के रूप में देखता है और पूजता है।
इस लेख में हम समझेंगे कि कैसे आप सरल और स्वाभाविक तरीकों से साईं बाबा से व्यक्तिगत रूप से गहरा, व्यक्तिगत और आत्मीय संपर्क बना सकते हैं।
1. सबसे पहले, उनकी मुख्य शिक्षा "श्रद्धा और सबुरी " के रास्ते पर चलें, यही साईं बाबा से जुड़ने की सबसे पहली सीढ़ी है।
साईं पर पूरी श्रद्धा रखो, बिना किसी शंका या डर के भीतर से विश्वास पैदा करना, जो किसी भी अनचाही परिस्थिति में ना डगमगाए। श्रद्धा यानी यह समझ कि, “बाबा मेरे साथ हैं, मेरा मार्गदर्शन कर रहे हैं, और हर परिस्थिति में मेरा भला ही होगा।”
सबुरी यानी सब्र रखना। नतीजों की जल्दी ना करना, अगर कही किसी काम में समय लग रहा है तो मन को शांत रखना और इतना भरोसा रखना कि साईं सही समय पर सब ठीक ही करेंगे जो मेरे लिए अंततः अच्छा ही होगा।
अगर आप केवल इन दो गुणों "श्रद्धा और सबुरी" को अपनाना शुरू कर दें, तो साईं बाबा से जुड़ाव अपने आप गहरा होता जाएगा।
2. साईं बाबा को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।
साईं भक्त जिन्हे साईं बाबा का नियमित रूप से आभास होता या फिर उन्हें महसूस करते हैं, कईयों को कहते सुना है कि “साईं बाबा को जितना अपना मानोगे, उनका आह्वान करोगे वह उतना करीब महसूस होंगे।” यह बात तो परस्पर हर सम्बन्ध में लागू होती है। किसी भी व्यक्ति से हम जितना ज्यादा सम्पर्क में रहते हैं उससे हम उतना ही ज्यादा जुड़ते जाते हैं।
अतः आप रोजमर्रा की छोटी-छोटी चीजों में साईं बाबा को याद कीजिये। जैसे सोने वक़्त व सुबह उठकर उन्हें नमन करना। काम शुरू करते समय उनसे आशीर्वाद लेना। कोई समस्या है तो उनसे मार्गदर्शन मांगना, कोई ख़ुशी वाली बात हो तो साईं बाबा से साझा करना। कहने का मतलब सुख-दुःख हर परिस्थिति में साईं से बातें करना और उनसे जुड़ना। यह याद रखना जरूरी है, संबंध वही गहरा होता है जिसमें रोज का स्पर्श हो।
साईं बाबा के अनगिनत भक्त इस बात का अनुभव करते हैं कि बाबा उन्हें मन ही मन जवाब देते हैं, संकेत देते हैं या किसी ना किसी रूप में मार्गदर्शन देते हैं।
3. ध्यान साधना
साईं बाबा ध्यान को बहुत महत्व देते थे। साईं से संपर्क/मार्गदर्शन के लिए प्रतिदिन नियमित रूप से जितना ज्यादा हो सके ध्यान करें। सुखासन में बैठ जाएं, अपनी उंगलियां क्रॉस करके इसे अपनी गोद में रखें और अपनी आँखें बंद कर ले। अब अपना पूरा ध्यान सहज सांसों पर लगाएं। आती हुई साँस और जाती हुई सांस। ऐसे ही साँसों पर ध्यान देते हुए बैठें रहें। ध्यान में बैठने पर मन में साईं से बोल दें, जो भी आपके लिए सही है वह मार्गदर्शन दें। धीरे धीरे साईं का अहसास आपको होने लगेगा और साईं सन्देश भी आप प्राप्त कर सकते हैं। बस आपकी साईं भक्ति और प्रेम में सच्चाई होनी चाहिए।
4. मंत्र-जप और नाम-स्मरण
साईं नाम-स्मरण से हम साईं से निरंतर जुड़े रहते हैं। “ॐ साईं राम” या “श्री साईं नाथाय नमः” ये नाम जाप आप कभी भी कर सकते हैं। वैसे एक नियमित समय हो तो और भी बढ़िया रहेगा।
5. साईं बाबा से जुडी पुस्तकों को पढ़ना।
जैसे जैसे हम साईं बाबा से जुड़ी किसी किस्से को किसी से सुनते हैं या कहीं पढ़ते हैं तो ये भी एक माध्यम बन जाता है जिससे हम साईं से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं और बाबा की उपस्थिति का अनुभव करते हैं। नियमित रूप से साईं की जीवनी पर आधारित "साईं सच्चरित" का पाठ या किसी भी बुक को पढ़ना जो साईं बाबा के बारे में ज्ञान देता हो, उनके करीब जाने मेंलाभदायक सिद्ध हो सकता है।
6. साईं बाबा द्वारा दिए गए उपदेश "सेवा, दया और दान" का पालन करें।
साईं बाबा ने हमेशा ही लोगों को जीव सेवा, दया और उचित दान के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कभी नहीं कहा की मेरी पूजा करो बल्कि वो हमेशा मना करते थे और कहते थे अगर मेरी पूजा करनी ही है तो हर इंसान-जीव में मुझे देखो और जरूरतमंद की सेवा करो, उसके प्रति दयालु दृष्टि रखो और दान दो। यही सच्चे मायने में मेरी पूजा होगी। साईं को जो भी भिक्षा में मिलता था वो अपने अपने आस पास के लोगो के साथ बाँट कर कहते थे चाहे वो कोई इंसान हो, जानवर हो या कोई जीव-जंतु।
7. धैर्य और पूर्ण समर्पण
साईं बाबा से जुड़ने का सबसे बड़ा राज है - धैर्य और पूर्ण रूप से आत्मसमर्पण। अगर आपकी कोई प्रार्थना पूरी नहीं हुई है, तो इसका मतलब यह नहीं कि बाबा नहीं सुन रहे। किसी और के साईं के अनुभव को सुनकर, कभी भी यह न सोचना कि हमारे में क्या कमी रह गयी जो साईं ने हमें अभी तक कोई अनुभव नहीं कराये। कभी-कभी बाबा हमारी परीक्षा लेते हैं, कभी समय सही नहीं होता, कभी हमें कुछ और सीखना होता है। जो अंत तक बिना अपना विश्वास डगमगाए दृढ़ रह जाता है, वही बाबा का सच्चा भक्त कहलाता है। तो पूर्ण समर्पण के साथ बाबा के साथ बने रहिये वो हमेशा हमारे साथ हैं। सही समय आने पर आपको स्वयं उनकी अनुभूति होगी।
यह भी पढ़ें, शिरडी यात्रा कैसे करें - रहने के व्यवस्था, भोजन, साईं दर्शन, घूमने की जगह।
साईं बाबा से व्यक्तिगत संबंध बनाना कठिन नहीं, बस दिल साफ़ और खुला होना चाहिए बिना किसी अपेक्षा के।
साईं बाबा से जुड़ने का मार्ग बहुत सरल है, ऊपर दिए गए जितने भी तरीके हैं उन्हें अगर आप पूरे दिल से अपनाते हैं तो आपको साईं बाबा की उपस्थिति महसूस होने लगेगी। याद रखें, “साईं बाबा हमारे भीतर ही रहते हैं, बस हमें अपने अंदर देखने आना चाहिए।”
ॐ साईं राम, जय साईं राम।

0 Comments: