Thursday, May 27, 2021

शिव चालीसा lyrics in हिंदी with meaning (mp3)

शिव चालीसा lyrics in हिंदी with meaning (mp3)

शिव चालीसा भगवान शिव को समर्पित एक भक्ति गीत है। किसी की मनोकामना पूरी करने के लिए इसे दैनिक पूजा में पूरे ध्यान और भक्ति के साथ पढ़ना चाहिए। शिव चालीसा लिरिक्स हिंदी में नीचे दिए गए हैं और साथ ही साथ mp3 version भी सुन सकते हैं।

Also, listen उतरे मुझमें आदियोगी - Shiva Statue song by कैलाश खेर.

shiv chalisa lyrics in hindi



शिव चालीसा lyrics with meaning


Play 👇 शिव चालीसा - "जय गिरिजा पति दीन दयाला" here.



श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

Meaning -

पार्वती सुत, समस्त मंगलों के ज्ञाता श्री गणेश की जय हो। मैं अयोध्यादास आपसे वरदान मांगता हूं।


जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥1॥

Meaning - पार्वतीजी के स्वामी, आप की जय हो! आप दीन लोगों पर कृपा करते हैं और साधु-सन्तजनों की रक्षा करते हैं।


भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥2॥

Meaning - हे त्रिशूलधारी, नीलकण्ठ! आपके मस्तक पर चन्द्रमा सुशोभित है और कानों में नागफनी के कुण्डल शोभायमान हैं।


अंग गौर सिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥3॥

Meaning - आप गौर वर्णी हैं और सिर की जटाओं में से गंगाजी बह रही हैं, गले में मुण्डों की माला है और शरीर पर भस्म लगा रखी है।


वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥4॥

Meaning - हे त्रिलोकी! आपके वस्त्र बाघ की खाल के हैं। आपकी शोभा को देखकर नाग और मुनिजन मोहित हो रहे हैं।


Also, listen चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम्" निर्वाण षट्कम.


मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥5॥

Meaning - माता मैना की प्रिय पुत्री पार्वतीजी आपके बाईं ओर सुशोभित हैं जिनकी शोभा अत्यंत निराली और न्यारी है।


कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥6॥

Meaning - आपके हाथ में त्रिशूल अपनी उत्तम छवि से शोभायमान हो रहा है, जिससे आप सदैव शत्रुओं का संहार करते रहते हैं।


नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥7॥

Meaning - आपके पास आपका वाहन नन्दी और गणेशजी कुछ इस प्रकार शोभायमान हो रहे हैं जैसे समुद्र के बीच में कमल खिले हों।


कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥8॥

Meaning - कार्तिकेयजी और उनके गण वहां पर विराजमान हैं। इस दृश्य की शोभा का वर्णन कोई नहीं कर सकता।


देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥9॥

Meaning - हे त्रिपुरारी! देवताओं ने जब भी सहायता की पुकार की, हे नाथ! आपने बिना विलम्ब किए उनके दुख दूर किए।


कियो उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥10॥

Meaning - जब ताड़कासुर ने बहुत अत्याचार करने आरंभ किए तो सभी देवताओं ने आपसे रक्षा करने की प्रार्थना की।


तुरत षडानन आप पठायउ। लब निमेष महँ मारि गिरायउ॥11॥

Meaning - आपने उसी समय कार्तिकेयजी को वहां भेजा और उन्होंने पलक झपकने की देरी में उस राक्षस को मार गिराया।


आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥12॥

Meaning - आपने जलंधर नामक भयंकर राक्षस का संहार किया। उससे आपका जो यश फैला, उससे सारा संसार परिचित है।


त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥13॥

Meaning - त्रिपुर नामक राक्षस से युद्ध करके आपने सभी देवताओं पर कृपा की और उनको उस दुष्ट के आतंक से मुक्त किया।


किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥14॥

Meaning - राजा भगीरथ के तप बाद आपने अपनी जटाओं में वास करती गंगा को जाने की आज्ञा दी। भगीरथ की प्रतिज्ञा आपके कारण ही पूरी हुई।


दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥15॥

Meaning - आपकी बराबरी करने वाला कोई दानी नहीं। भक्त लोग सदा ही आपका गुणगान व यशोगान करते रहते हैं।


वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥16॥

Meaning - वेदों में भी आपकी महिमा का वर्णन है। परन्तु अनादि होने के कारण आपका रहस्य कोई नहीं पा सका।


प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥17॥

Meaning - समुद्र मंथन से जो विष रूपी ज्वाला निकली उससे देवता और राक्षस दोनों जलने लगे और विह्वल हो गए।


कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥18॥

Meaning - हे नीलकंठ! तब आपने उस ज्वालारूपी विष का पान करके उनकी सहायता की। तभी से आपका नाम नीलकंठ पड़ गया।


पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥19॥

Meaning - लंका पर चढ़ाई से पूर्व श्री राम ने आपकी पूजा के बाद ही विजय प्राप्त की और विभीषण को लंका का राजा बना दिया।


सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥20॥

Meaning - हे महादेव! जब श्री रामचन्द्रजी सहस्र कमलों से आपकी पूजा कर रहे थे तो आपने फूलों में रहकर उनकी परीक्षा ली।


एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥21॥

Meaning - आपने अपनी माया से एक कमल का फूल छिपा दिया। तब रामचन्द्रजी ने अपने नयनरूपी कमल से पूजा करने की सोची।


कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥22॥

Meaning - इस प्रकार जब शिवजी ने अपने में रामचन्द्रजी की यह दृढ़ आस्था देखी तो प्रसन्न होकर उन्हें मनचाहा वरदान दिया।


जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥23॥

Meaning - हे शिव आप अनन्त हैं, अनश्वर हैं। आपकी जय हो, जय हो, जय हो। आप सबके हृदय में रहकर उन पर कृपा करते हैं।


दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥24॥

Meaning - दुष्ट विचार सदैव मुझे पीड़ित कर सताते रहते हैं और मैं भ्रमित रहता हूं, जिसके कारण मुझे कहीं चेन नहीं मिलता है।


त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥25॥

Meaning - हे नाथ! मेरी रक्षा करो, मेरी रक्षा करो-इस प्रकार मैं आपको पुकार रहा हूं। आप आकर मुझे संकटों व कष्टों से उबारें।


लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥26॥

Meaning - हे पापसंहारक! अपने त्रिशूल से मेरे शत्रुओं को नष्ट करो और संकट से मेरा उद्धार कर मुझे भवसागर पार लगाओ।


मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥27॥

Meaning - माता-पिता, भाई-बन्धु सब सुख के साथी हैं। दुखों में कोई साथ नहीं देता, संकट आने पर कोई नहीं पूछता।


स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥28॥

Meaning - हे स्वामी! मुझे तो केवल आपसे ही । आशा है, आप पर ही विश्वास है। आप आकर मेरा घोर संकट तथा कष्ट दूर करें।


धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥29॥

Meaning - आप सदा निर्धनों की सहायता करते हैं। आप से जिस चीज की याचना की जाती है, वही फल प्राप्त होता है।


अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥30॥

Meaning - आप की पूजा-अर्चना कैसे की जाती है, हमें तो यह भी मालूम नहीं। अतः हमारी जो भी भूल-चूक हुई हो उसे क्षमा कर दें।


शंकर हो संकट के नाशन। विघ्न विनाशन मंगल कारन॥31॥

Meaning - आप ही कष्टों को नष्ट करने वाले हैं। सभी शुभ कार्यों को कराने वाले हैं तथा सब विघ्न-बाधाओं को दूर करके कल्याण करते हैं।


योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥32॥

Meaning - योगी, यति और मुनिजन सभी आपका ध्यान करते हैं। नारद मुनि और देवी सरस्वती (शारदा) भी आपको नमन करते हैं।


नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥33॥

Meaning - 'ॐ नमः शिवाय' इस पञ्चाक्षर मंत्र का जाप करके भी ब्रह्मा आदि देवता आपकी महिमा का पार नहा पा सके।


जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत हैं शम्भु सहाई॥34॥

Meaning - जो कोई भी मन तथा निष्ठा से शिव चालीसा का पाठ करता है, शंकर भगवान उसकी सहायता कर उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण करते हैं।


ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥35॥

Meaning - हे करुणानिधान! कर्ज के बोझ से दबा हुआ व्यक्ति आपके नाम का जाप करे तो वह ऋण-मुक्त हो सुख-समृद्धि प्राप्त करता है।


पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥36॥

Meaning - जो कोई भक्त, पुत्र प्राप्ति की कामना से पाठ करता है, तो आपकी कृपा से उसे पुत्र-रत्न की प्राप्ति होती है।


पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥37॥

Meaning - हर श्रद्धालु तथा भक्त को प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को विद्वान पंडित को बुलाकर पूजा तथा हवन करवाना चाहिए।


त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥38॥

Meaning - जो भक्त सदैव त्रयोदशी का व्रत करता है, उसके शरीर में कोई रोग अथवा किसी प्रकार का क्लेश मन में नहीं रहता।


धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥39॥

Meaning - धूप-दीप और नैवेद्य से पूजन करके शिवजी की मूर्ति या चित्र के सम्मुख बैठकर शिव चालीसा का श्रद्धापूर्वक पाठ करना चाहिए।


जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥40॥

Meaning - इससे जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और अन्त में मनुष्य शिवलोक में वास करने लगता है अर्थात मुक्त हो जाता है।


कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

Meaning - अयोध्यादासजी कहते हैं कि हे शंकर भगवान, हमें आपसे ही आशा है। आप हमारी मनोकामनाएं पूरी करके हमारे दुखों को दूर करें।


शिव चालीसा समाप्ति।

Also listen साईं चालीसा.


॥दोहा॥

नित नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीस।

तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

Meaning - इस शिव चालीसा का चालीस बार प्रतिदिन पाठ करने से भगवान मनोकामना पूर्ण करते हैं। मृगशिर मास की छठी तिथि हेमन्त ऋतु संवत् ६४ में यह चालीसा रूपी शिव स्तुति लोक कल्याण के लिए पूर्ण हुई।

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