Monday, June 29, 2020

साईं बाबा के 11 वचन with meaning in हिंदी

श्री साईं बाबा के ११ वचन with meaning in हिंदी

श्रद्धा और सबुरी का पाठ कराने वाले श्री साईं बाबा के ग्यारह वचन, यह वचन पढ़ने और इनका श्रद्धापूर्वक पालन करने से शुभ और लाभ की प्राप्ती होगी और सभी कार्य सफलतापूर्वक सिद्ध होंगे।

साईं के ११ वचनों का बड़ा महत्व है जिसमें जीवन की हर समस्या का समाधान छिपा है। यह साईं भक्तों के लिए उनके दर्शन समान हैं। आइये देखते हैं ये ११ वचन क्या हैं और इनका क्या मतलब है।



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साईं के ११ वचन


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  1. जो शिरडी में आएगा। आपदा दूर भगाएगा।
    Meaning
    पहले वचन में साईं अपने भक्तों को शिर्डी आने के लिए कहते हैं और कहते हैं जो भी शिर्डी में आएगा उसकी सारी परेशानियां समाप्त हो जाएँगी।

  2. चढ़े समाधि की सीढ़ी पर। पैर तले दुःख की पीढ़ी कर।
    Meaning
    साईं के दुसरे वचन के अनुसार उनकी समाधि की सीढ़ी पर पैर रखते ही या फिर उनकी समाधि के दर्शन से साईंभक्तों के दुःख दूर हो जायेंगे। इसके लिए साईं के प्रति श्रद्धा और सबुरी का होना जरूरी है।

  3. त्याग शरीर चला जाऊँगा। भक्त-हेतु दौड़ा आऊँगा।
    Meaning
    तीसरे वचन में साईं कहते हैं भले ही मैंने शरीर त्याग दिया हो पर अपने भक्त की श्रद्धा भरी पुकार सुनकर मैं उसकी सहायता के लिया दौड़ा आऊंगा।

  4. मन में रखना दृढ़ विश्वास। करे समाधि पूरी आस।
    Meaning
    चौथे वचन में साईं कहते हैं कि मुश्किल में मेरे हर भक्त को दृढ़तापूर्वक विश्वास करना चाहिए की उनकी हर परेशानी का हल उन्हें इस समाधि पर जरूर मिलेगा।

  5. मुझे सदा जीवित ही जानो। अनुभव करो सत्य पहचानो।
    Meaning
    पांचवे वचन में साईं कहते हैं कि मेरा अस्तित्व सिर्फ शरीर तक ही सीमित नहीं है बल्कि मैं हमेशा परमात्मा के अंश की तरह सदैव जीवित रहूँगा। अपने प्रेम और भक्ति की शक्ति से मेरे भक्त सत्य को पहचान सकते हैं।

  6. मेरी शरण आ खाली जाये। हो तो कोई मुझे बताये।
    Meaning
    छठवे वचन में साईं कहते हैं कि जो भी पूरी श्रद्धा के साथ मेरे पास आता हैं उसकी हर इच्छा मैं पूरी करता हूँ। साईं अपने भक्तों से पूछते हैं की मेरे दर पर आकर अगर कोई खाली हाथ गया है ऐसा अगर कोई शक हो तो मुझसे कहो।

  7. जैसा भाव रहा जिस जन का। वैसा रुप हुआ मेरे मन का।
    Meaning
    सातवे वचन में साईं भाव का महत्व समझाते हुए कहते हैं कि जो मुझे जिस भाव से देखेगा मैं उसे वैसा ही नज़र आऊंगा। मेरे भक्त जिस भाव से मेरी कामना करते हैं मैं उसी भाव से उनकी कामना पूरी करता हूँ।

  8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा। वचन न मेरा झूठा होगा।
    Meaning
    साईं के आठवें वचन के अनुसार जो भी पूरी श्रद्धा रखते हुए साईं के प्रति पूर्णतः समर्पित हैं उनका पूरा भार साईं खुद उठाते हैं और उनकी हर जिम्मेदारियों को पूर्ण करने में उनकी मदद करते हैं। ये साईं वचन देते है जो कभी भी झूठा नहीं होगा।

  9. आ सहायता लो भरपूर। जो मांगा वह नहीं है दूर।
    Meaning
    साईं के नौवें वचन के अनुसार श्रद्धा और प्रेम से जो भी साईं से कुछ भी मागेंगे उसे साईं अवश्य ही पूरा करेंगे।

  10. मुझ में लीन वचन मन काया। उसका ऋण न कभी चुकाया।
    Meaning
    साईं के दसवें वचन के अनुसार जो भक्त तन, मन और वचन से मुझमें लीन होता है उसका मैं सदैव ही ऋणी रहूंगा और उसकी हर इच्छा व जिम्मेदारी मेरे लिए ऋण समान है।

  11. धन्य-धन्य वह भक्त अनन्य। मेरी शरणतज जिसे न अन्य।
    Meaning
    साईं के ग्यारहवे वचन के अनुसार वो भक्त धन्य हैं जो अनन्य भाव से साईंभक्ति में लीन हैं, वो सदैव ही साईं को प्रिय हैं अर्थात जो भक्त अनन्य भाव से ईश्वर में लीन होते हैं उन पर भगवान की कृपा होती है।

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दुसरे शब्दों में साईं बाबा के ११ वचनों को इस तरह से भी कहा जा सकता है। कृपया ध्यान दें कि इनका भावार्थ एक ही है।

साईं बाबा के 11 वचन

शिरडी के पावन भुमि पर पाँव रखेगा जो भी कोई।
तत्क्षण उसके मिट जाएँगे सभी अपाय हो जो भी कोई ।।१।।

समाधि की सीढी चढेगा जो मेरी।
मिटे दुःख दरिद्र और चिन्ताएँ सारी ||२||

गया छोड इस देह को किन्तु, फिर भी।
दौडूंगा निजभक्त के हेतु, फिर भी ।।३।।

मनोकामना सिध्दीदा ये मेरी समाधी।
रखो इस पर विश्वास और दृढबुध्दि ||४||

नित्य हूँ जीवित मैं, ये है अक्षरौंश सत्य।
नित्य लो प्रचीति, निजस्वानुभव ||५||

मेरी शरण में आ के, कोई गया हो खाली।
ऐसा मुझे बतादो, कोई एक भी सवाली ||६

भजेगा जो मुझको जिस भाव में।
पाऊँगा उसको मैं उस भाव में ||७||

तुम्हारा यो सब भार ढोऊँगा मैं।
नहीं इसमें सौंशय, ये वचन सतय मेरा ||८||

मिलेगी मदत यहाँ सबकी ही जानो।
मिलेगी वही उसको जो जो भी माँगे ।।९।।

हो गया मेरा ही जो तन मन वचन से।
ऋणी हूँ मैं उसका सदा सर्वदा ही ||१०||

कहे साई वो ही हुआ धन्य - धन्य।
हुआ जो अनन्य मुझमे अभिन्न ||११||




ॐ श्री सच्चिदानंद सद्गुरु साईनाथाय नमः।


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